तमाम वैशविक मंचो पर भारत एक धर्म निरपेक्ष और उदार लोक तंत्र माना जाता रहा है। यहां बेशक सामाजिक विषमताएं रही है और वक्त -बेवक़्त जातिगत व सामाजिक तनाव सतह पर आये है। लेकिन 1991 के बाद,खास तौर से जिस तरह अमेरिका,जापान या अन्य देशो के साथ हमारे रिश्ते सुधरे,उसका व्यापक असर पड़ा। पिछले कुछ वर्षो से आर्थिक प्रगति के मामले में भारत की साख दुनिया भर में बढ़ी है। हालांकि इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि एक वैशिवक गांव में उपभोक्ता वर्ग काफी मायने रखता है,और इस मामले में भारत काफी सम्पन्न देश है। फिर बौद्विक व तकनीकी कुशलता के लिहाज से भी भारतीय दुनिया भर में सम्मान पा रहे है।
भारत ही नहीं , इस तरह की प्रकिया तमाम राष्टो में अपनाई जाती है। यूरोप के अनेक देशों में नागरिकता को लेकर अपने नियम है।