झारखण्ड चुनाव ----न तेरी है, न मेरी है ----वक्त की हेराफेरी है ----

2017 में पूरी हिंदी भाषा पटटी पर भाजपा का शासन के साथ 71 प्रतिशत हिस्से पर उसका निंयत्रण था। अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनावो में बड़ी जीत के बावजूद कई राज्यों में भाजपा की हार से पार्टी के बड़े नेता आगामी विधानसभाओ के चुनावो के लिए अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने को मजबूर हो सकते है।आने वाले समय में दिल्ली और बिहार में चुनाव होने है। आकड़ो का विश्लेषण बताया है कि जिन राज्यों में भाजपा की उसके दम पर या सहयोगियो के साथ सरकार है वहां आबादी करीब 43 प्रतिशत है जबकि दो साल पहले 69 फिसदी से अधिक आबादी वाले राज्यों में भाजपा की सरकार थी। 


पार्टी के लिए  चिंता की बात है कि 2018 से राज्यों के चुनाव में उसका ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। वह इस अविधि में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्ता खो चुकी है। लोकसभा चुनाव में उसकी जबरदस्त जीत भी राज्यों में लाभ दिलाने में कामयाबी नहीं रही। राजनीतिक जानकारों की माने तो भाजपा को विधानसभा चुनावों में रणनीति बदलनी होगी।हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में विपक्षी दलों ने पिछली बार के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया।,