सूर्यग्रहण का प्रभाव व मान्यता -- सनातन मान्यता का मजाक उडाने की निंदा -

भारत देश सनातन धर्म आधारित है, धर्म में नौग्रह का प्रमुख स्थान है। सूर्य से मानव कल्याण करने का मंत्र प्रभावी है। मानव अस्तित्व आने के बाद ग्रहण की जानकारी होने पर धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दौरान भजन -कीर्तन -उपासना पूजा करने से कल्याण का मार्ग बताया है। 


          वैज्ञानिक मत के अनुसार पृथ्वी, सूर्य, और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होगा। सूर्य का 60 % भाग चंद्रमा की वजह से ढक जायेगा। इसे नंगी आँखो से न देखने की सलाह व लगातार भी न देखा जाय। 


         अबुधाबी,दुबई में रिंग ऑफ़ द फायर आकृति का दृश्य पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय देखा गया। इसके अतिरिक्त देश के कई भागो में हसिया आकर में देखा गया। इस अवसर पर विभिन्न टी.वी चैनलों में आध्यात्मिक चर्चा के दौरान विभिन्न प्रकार के विचारों मतो के द्वारा इस पर व्याख्या किया गया। इंडिया टीवी पर आचार्य इन्दु प्रकाश व वैज्ञानिक के.सिद्धार्थ की चर्चा आध्यात्मिक, ज्योतिषविज्ञान का सामजस्य देखा गया। बहस में जहां अपने अपने मतो पर जोर दिया गया वही अनेको ज्योतिषाचार्य वैज्ञानिक एवं अन्य लोग लोग इसके कारण व  परिणाम को माना। 


           बेंगलुरु में ग्रहण को अन्धविश्वास मानने वालो एक समूह ने ग्रहण कल में खाना खा कर इसे चुनौती दिया। दिल्ली में नेहरू स्टेडियम स्थित तारा मंडल द्वारा ग्रहण काल में भोजन-नाश्ता करने का आयोजन किया गया।  इस आयोजन की आलोचना करते हुए आचार्य इन्दु प्रकाश ने सनातन धर्म का मजाक करने के लिए आयोजकों की जाँच की माँग किया है। 


                विश्व सनातन परिवार जन सेवा ट्रस्ट की और से मानव के कल्याण हेतु यज्ञ हवन जाप किया गया। निराला महाराज जी ने आम जनमानस से सनातन सिद्ध परम्परा उपासना पूजा से मानव के कल्याण हेतु अपनाने पर बल दिया।