प्रदेश सरकार ने जिले में गंगा तराई वाले 134 गांवों में आधारित (जैविक) फसलो की खेती कराने का फैसला किया है। इन गांवों के किसान को रासयनिक उर्वरक मुक्त फ़सलों की खेती के लिए प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। पहले चरण में 67 गांवो को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। इसके बाद अन्य 67 गांवों के किसान प्रशिक्षित किये जाएगे। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि रासायनिक उर्वरको का प्रयोग करने से खेती योग्य भूमि के बंजर होने का खतरा बढ़ गया है।
विभिन्न फसलो के उत्पादन के लिए रासयनिक उर्वरको का उपयोग किये जाने के कारण मृदा की सेहत भी खराब हो रही है मृदा में कार्बन और नाइट्रोजन का अनुपात भी घट रहा है।