मीरजापुर के अदलहाट के स्थानीय बाजार स्थित यूनियन बैंक परिसर में चल रहे श्री रामचरित मानस कथा के तीसरे दिन गुरुवार को कथा वाचक मानस राजहंस आचार्य स्वामी तुलसी किंकर जी महाराज ने कहा की हनुमान जी सुमित के संगी है। जहां सुमति है, वहां हनुमान जी विराजमान रहते है।
स्वामी जी ने सुमति कुमति के अंतर् का विश्लेषण करते हुए कहा की सुमति के छह अंग है। कुमति का परित्याग, छोटो पर दया, आत्मदोष देखना, बड़ो का सम्मान, ईश्वर में भक्ति और निःस्वार्थ कार्य करना। जिस परिवार में किसी प्रकार की कुमति आगई तो उसका परित्याग करने, जिससे कोई गलती हो जाय, उसे स्वीकार करने से, हर सदस्य बड़ो का सम्मान करे तो किसी न किसी रूप में ईश्वर को पा लेता है। निःस्वार्थ भाव से एक दूसरे का सहयोग जिस परिवार में होता है वही सुमति वास करता है।