शैक्षणिक संस्थान शिक्षा छोड़ राजनैतिक अड़गा बन रहे ----

यह एक चिन्तन का विषय है जब राजनेता अपने स्वार्थ के लिए देश के छात्रों को आगे ला रहे है और हिंसा फैलाने में सहयोग कर रहे है। जेएनयू हमला के विरोध में कार्यक्रम में सीताराम, डी.रामन के साथ दिलीप पादुकोण का दिखना चर्चा का विषय है। छात्रों पर हुए हमले का सभी ने विरोध किया है इस आन्दोलन का अलग ही स्तर पर चले जाने का खतरा पैदा हो गया है। यह सिलसिला तीन साल पहले शुरू हुआ था, जब पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष कन्हैया कुमार और दो अन्य को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था।


                                            मामले में अभी तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है, लेकिन तभी से जेएनयू को निरंतर उपेक्षा,धमकी और हिंसा का सामना करना पड़ा है। जेएनयू में हमला कोई पहला नहीं है। कथित राष्ट्रवादियो ने जेएनयू को देश -विरोध के एक केंद्र के रूप में चित्रित करने की कोशिश की है जेएनयू प्रशासन कैंपस के अंदर सभी लोकतांत्रिक मंचो को कमजोर करते हुए छात्रों व शिक्षको को निशाना बनाता रहा है।  


                   दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार की रात छात्रों की पिटाई का तीखा आक्रोश सोमवार को वाराणसी में दिखा। बीएचयू और काशी विद्यापीठ में विभिन्न छात्र संगठनों ने प्रदर्शन किया और पुतले भी फुके। छात्रों ने इस घटना की निष्पक्ष और न्यायिक जांच कराकर दोषियों को कड़ा दंड देने की मांग की है।