वाह रे ज़िंदगी ---

* दौलत की भूख ऐसी लगी की कमाने निकल गए 


ओर जब दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए 


बच्चो के साथ रहने की फुरसत ना मिल सकी 


ओर जब मिली तो बच्चे कमाने निकल गए 


*ज़िंदगी की आधी उम्र तक पैसा कमाया 


पैसा कमाने में शरीर को खराब किया 


बाकी आधी उम्र उसी पैसे को 


शरीर ठीक करने में लगाया 


ओर अंत में क्या हुआ 


ना शरीर बचा ना ही पैसा 


     वाह रे ज़िंदगी