आप भले मेरी किताबें और यूरोप के सबसे उन्नत मस्तिष्कों की किताबें जला देंगे लेकिन उन विचारों का क्या जो उन किताबों में समाई थी और जो करोड़ो रास्तों से आगे बढ़ चूका है और बढ़ता ही रहेगा। हेलेन केलर, एन ओपन लेटर टू जर्मन स्टूडेंट्स फैहरेनहिट 451 ! यही उस फिल्म का नाम है जो साठ के दशक के मध्य में 1966 में रिलीज हुई थी।
चर्चित फ्रेंच निर्देशक त्रुफे द्वारा निर्देशित इस एकमात्र इंग्लिश फिल्म की तरफ उस वक्त लोगों का अधिक ध्यान नहीं गया था। प्रख्यात अमेरिकी लेखक रे ब्रेडबरी के इसी नाम के प्रकाशित एक उपन्यास 1951 पर आधारित यह फिल्म उस भविष्य की कल्पना करती है जब किताबें गैरकानूनी घोषित की जाएगी और दमकल विभाग वाले उन तमाम किताबों को जला देंगे,जो उनके हाथ में लगती है।
फैहरेनहीट 451 दरअसल उस तापमान का आकड़ा है जब किताबे जलती है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका में जो कम्युनिस्ट विरोध की उन्मादी मुहीम सरकार की शह पर चल पड़ी थी, जब बड़े-बड़े लेखक, कलाकारों, सांस्कृतिक कर्मियों को जबरदस्त प्रताड़ना से गुजरना पड़ा, उस पृष्ठभूमि में यह उपन्यास लिखा गया था, जिसने शोहरत की बुलंदियों को छुआ है। अब तक उसकी पचास लाख प्रतिंया बिक चुकी है। वक्त निश्चित बदल गया है।