गरिमापूर्ण सवांद की स्थितिपैदा करनी होगी -------

बिना दवाई कोरोना को थका कर हटा देने वालो द्वारा अपनी पीठ थपथपा देने की आज कमी नहीं। अचानक लॉक डाउन की सख्ती के दो महीनों की जिस आर्थिक गतिविधि ने सबको निष्प्राण कर दिया था, वह निस्संदेह आज करवट बदलना चाहती है इस देश के सामान्य जन की जिजीविषा एक नयी संस्कृति को जन्म देना चाहती है, लेकिन परिस्थितिया जन-जन को आज भी सामान्य और सहज क्यों नहीं लगती। 


           कोरोना की लहर के इन छह महीनों में बुनियादी उद्योगों से लेकर हर व्यवसाय और उद्यम के पतन के आकड़ो के बावजूद भारतीय किसान की मेहनत ने लहलहाती फसलों का रूप लेकर देश को रोग के दुर्भाग्य के साथ भूख और अकाल से बचाया।