साइबेरियन पंक्षियों पर शोध ------

विंध्याचल मंडल के अवकाश प्राप्त कंजरवेटर रूपक-डे ने वर्ष-2001 में अपने तैनाती के दौरान जब मिर्ज़ापुर और सोनभद्र की झीलों और नदियों के किनारे कलरव करते साइबेरियन पक्षियों के व्हवहार और उनके जीवनवृत्त पर शोध में चौकाने वाला तथ्य सामने आया। 


            उन्होंने दावा किया कि दस से पंद्रह हज़ार मील की दूरी तय कर आने वाले साइबेरियन पक्षी यहां न केवल ठंड से बचने के लिए तीन से चार माह गुजरते है बल्कि मादा साइबेरियन नदी एवं झील के किनारे दलदली जमीन में अंडे भी देती है।